Kuch to khaas tha unmein: A poem by Krishna Budakoti


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एक प्यार ,एक जुनून था उनमें,
कुछ तो खास था उनमें ।
‘ वो ‘ मिले तो दिल धड़क जाए,
न मिले तो धड़कन रुक जाए।
सूना-सूना-सा लगता था हर पल,
गर मुझे कभी ‘ वो ‘ न मिल पाए।
एक प्यार भरा दिल था उनमें,
कुछ तो खास था उनमें ।।
जब नज़रों से नज़रें टकराई,
और मैं उनके यूँ करीब आई।
कितना प्यारा था वो एक एहसास,
छुआ उसने तो मैं शरमाई ।
यूँ ही नहीँ रब दिखता था उनमें,
कुछ तो खास था उनमें।।
बड़ी शिद्दत से उसने चाहा था,
जानती हूँ कि वो बेवफ़ा न था।
मुद्दतों बाद भी वो हसीन पल,
चाहते हुए भी न दिल भूला था।
रब से ज़्यादा भरोसा था उनमें,
कुछ तो खास था उनमें ।।
वो बात,वो मुलाकात ताज़ा है,
आज भी जब ‘ वो ‘ याद आता है।
यूँ ही नहीं हमसफ़र दिखता था उनमें,
कुछ तो खास था उनमें।।



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