जब कोई आंख न देखे मुझे तो
मैं किसकी तरफ
एक आस भरी निगाह से देखूं
यह संसार तो नहीं है
मेरे मन मुताबिक तो
क्या फिर मेरे जीवन की
यात्रा का अंतिम पड़ाव
होगा प्रभु की प्राप्ति
प्रभु का सानिध्य
प्रभु का भजन
प्रभु का आशीर्वाद
प्रभु का प्रसाद
प्रभु पर हो जाऊं जो निर्भर तो
विपदाओं भरे रास्ते कटे
सरलता पूर्वक
हंसकर
खुश होकर
जीवन के हर पल को जीते हुए
उसे पाते हुए
सार्थक करते हुए।