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यादों का कारवाँ: डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘ उदार ‘ द्वारा रचित कविता

यादों का कारवाँ ये,चलता रहेगा तब तक
साँसों में आस का ये, दीपक जलेगा जब तक।।

जब तक रहेंगे हम तुम,ये आसमाँ रहेगा
तारों भरे गगन का, मजमा रहेगा जब तक ।।

आँखों में रोशनी हो और दिल में बंदगी हो
बस प्रेम-प्यार का ही, नग़मा रहेगा जब तक।।

लगते रहेंगे मेले,हर रोज़ हौसलों के
दुनिया में हर किसी का,आना
रहेगा जब तक।।

परवाज़ पंख की तो,बस आसमाँ तलक़ है
आँखों में हर किसी के , सपना सजेगा जब तक ।।

राहों के शूल हँस कर, मंज़िल को दिखाएँगे
मंज़िल पे पहुँचने का ,अरमां रहेगा जब तक।।

मन का चमन खिलेगा,मंहकेगा
सारा मंज़र
ख़ुशबू से घर और आँगन मंहका करेगा जब तक ।।

अरमान ज़िन्दगी का ,थमने कभी न पाए
ख़ुशियों का कारवाँ ये, चलता रहेगा जब तक ।।

कम फ़ासले न होंगे,मन दूरियाँ बढ़ेंगी
क़ीमत ‘उदार’ मन की, परखा करेगा जब तक।।