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यादों का कारवाँ: जीतेन्द्र वर्मा द्वारा रचित कविता

दिल के सहरा में आज जाने क्या बात हुई।
कारवाँ यादों का गुजरा आँखों से बरसात हुई।।
जब तन्हा थे क्या थी जिंदगी-ए सरमाया।
तुम्हारे साथ मेरी एक दुनिया सी आबाद हुई।।
 ग़म ही थे मेरे हिस्से जब तक न तुमसे मिले।
अब मेरे घर में खुशियों  की इफ़रात हुईं।।
मेरी जिंदगी  का गजर बस तुम ही तुम रहे।
तुम आए तो दिन रहे, तुम्हारी याद तो रात हुई।।
तुम साथ थे तो जी था सारा जहां पा लेने का।
तुम गये तो ना कोई ख़्वाहिश उसके बाद हुई।।
यादों के बादल अब गरजते हैं बरसते नहीं।
ऐसी नाइंसाफी क्यों ही मेरे साथ हुई।।
एक मेरा दिल था जिसकी सख़ावत ऐसी।
तुमसे बिछड़ के फ़ना ये हयात हुई।।
तेरी क़ैद में मेरा वजूद था अब तलक।
अब कहीं जाके रूह मेरी आज़ाद हुई।।
दिल के सहरा में आज जाने क्या बात हुई।
कारवाँ यादों का गुजरा आँखों से बरसात हुई।।