किसी भी पृष्ठ को
कभी मोड़ो नहीं
उसे मुड़ा हुआ देखो तो
उसे सही और सीधा उसकी
यथा स्थिति में कर दो
आदमी का मोल तुम तब जानोगे
जब बेजान वस्तुओं को भी
तुम जीवित समझकर उन्हें अपनाओगे
उनकी सुंदरता नहीं बिगाड़ोगे
उनको किसी प्रकार की कोई हानि नहीं पहुंचाओगे
इस आदत का अभ्यास मनुष्य को
निरंतर करना चाहिए
जब वह निर्जीव वस्तुओं के साथ सही आचरण करना सीख जायेगा तो
किसी भी जीव को जिसमें जीवन है
कभी नुकसान नहीं पहुंचायेगा
वह जिसकी तरफ नजर उठा कर देखेगा उसमें प्रभु के दर्शन कर पायेगा
प्रभु का जैसे निरादर करने का वह साहस नहीं कर सकता
वैसा ही व्यवहार वह फिर हर किसी से कर पायेगा।