नाम में क्या रखा है
यह बात सच है
कुछ नहीं रखा
मेरे जैसे नाम के
इस दुनिया में न जाने कितने और होंगे
नाम के अर्थ भी खोजने पर
एक नहीं अनेक निकल आते हैं और
दुविधा में डालते हैं
यह समझ पाना फिर मुश्किल होता है कि
इस नाम का सही अर्थ कौन सा है
किसी की पहचान उसके काम से ही
होती है
कोई काम नहीं किया तो नाम क्या
करेगा
यह एक दिन जीते जी और फिर
कहीं मरने के बाद तो जड़ से
आदमी की तरह ही मिट्टी में मिल
जायेगा
जीवन का सफर बहुत कम है और
उसमें कोई काम करने का समय जो
मिलता है
वह उससे भी कम
थोड़ा थोड़ा करके
समय व्यर्थ किया तो
कोई भी कार्य सम्पादित नहीं हो
पायेगा और
कोई महान कार्य तो कदाचित नहीं
इतिहास के सुनहरे पन्ने पर तो उन्हीं के
नाम दर्ज होते हैं जो
कोई महान कार्य करते हैं
काम के साथ ही फिर
किसी का नाम लिया जायेगा लेकिन
कोई महान कार्य को अंजाम दे पाये या
न दे पाये
उसका कहीं नाम हो पाये या न हो पाये
इन सबसे उठकर
जब मां बाप दुनिया जहां का प्यार
अपने बच्चे के लिए उंडेलकर
उसका नाम अपने होठों से पुकारते हैं तो
वह अहसास एक अलौकिक अहसास होता है
जिसका कोई तोड़ नहीं
भगवान के बार बार इस धरती पर
मां बाप के रूप में मिलने जैसा।