सारा जहां जब सो रहा होता,
रात की कालिमा में कोई पास न होता,
तो ये स्वप्न बन के आते हैं साथी,
जिनके साथ से अकेलापन सब दूर होता |
ये सपने भी बड़े अजब से नज़र आएं,
कभी तो इक ख़ुशी की उम्मीद जगाएं,
कभी खुद ही भय को बढ़ाते,
किसी के ये बैरी, तो किसी के मीत बन जाएं |
हर कोई इस दुनिया में सपने देखे है हज़ार,
पर क्या कोई समझ सका है यार ?
किधर से आएं किधर को जाएँ,
फिर भी सपनों का साथ न छोड़े संसार |
कहते हैं कि सपने सच भी होते हैं,
सपने देखने से इरादे मजबूत होते हैं,
भविष्य में क्या होगा किसी के,
उसका भी ये हाल खुद में संजोते हैं |
खुली आँखों में भी रहते हैं सपने,
जिनको देख लक्ष्य पूरे होते हैं अपने,
इरादे नेक हों तो अवश्य सच होते हैं सपने,
पराये नहीं, अपने ही होते हैं सपने |