यह दुनिया
कभी
एक खाली कुएं सी प्रतीत होती है
निराशा की चिड़िया
कुएं की मुंडेर पर बैठ जाती है और
लाख कोशिश करने पर भी
उड़ने का नाम नहीं लेती है
हर घर एक सुनसान इलाके में
तब्दील हो जाता है
हर दिल एक जीता जागता
सांस लेता कब्रिस्तान बन जाता है
जो जैसा पैदा होता है
उसे मरते दम तक वैसे ही रहना चाहिए
इस तरह के बेमकसद बदलाव
दिलो दिमाग में एक उपद्रव सा मचा देते हैं
गुलिस्तान में जाओ तो वह मरुस्थल बन जाता है
शमशान घाट में जाओ तो
वह एक जीवन सा जीवंत बन जाता है
जो जैसा है वैसा ही दिखे
न कोई जादू
न कोई कारीगरी
न कोई तमाशा करे
इस खाली कुएं को भी भरना तो
एक पवित्र जल की धार से भरना
कोई खून खराबा करके
इसके खाली स्थान को
न किसी की रक्त की बूंदों से
भरना।