उदासी
किसी मेहमान की तरह
बस आये और जाये
यह दिल की जमीन पर कहीं
अपना स्थाई घर न बनाये
उदासी बड़ी दुखदाई होती है
तन मन की नस नस
इसके पास होने से
जार जार रोती है
उदासी हो तो
एक बादल सी
मन के आकाश पर छाये तो
बस कुछ पल ठहर कर
तन को भिगोती हुई
एक बारिश सी ही बरस कर
चेहरे की आंखों से गुजरती हुई
किसी अंजान दिशा में बह जाये
हो सके तो कभी मुड़कर न आये
चेहरे के नूर को कहीं यह उदासी का
भाव छीन न ले
दिल की किताब के कहीं पन्ने फाड़ दे
और उसे एक कब्र सा उखाड़कर
जिन्दगी की कहानी के हर एक लफ्ज को मिटाती हुई
कहीं दूर फेंक दे।