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मौसम से एक गुजारिश

मौसम सुहाना है

हल्की फुल्की बारिश है

रिमझिम बरसात से

बरसती मोतियों सी ही बूंदों का

हर सू एक दिलकश नजारा है

तुम भी निकल आओ

अपने घरों से बाहर

महज बालकनी में खड़ी न रहो

जैसी भी खड़ी हो

वैसी ही आ जाओ

थोड़ा जल्दी करो

यह मौसम फिर कहीं खो न जाये

तेज धूप निकलने ही वाली है

हम जो पी रहे

कोल्ड कॉफी उसमें पड़े

बर्फ के टुकड़ों को पिंघलाने ही वाली है

जल्दी करो

कपड़े वगैरह न बदलो

कौन सा तुम्हें किसी के घर,

बाजार या पार्टी में जाना है

ऐ मौसम सुन लो आज

हमारी एक गुजारिश

थोड़ी देर ऐसे ही बने रहना

खुद को एक इंसान सा ही

जल्दी जल्दी मत बदलना

अपने इसी रंग में

इसी खुमार में

इसी मस्ती में

थोड़ा सा ठंडा ठंडा

मीठा मीठा

गीला गीला सा बने रहना

हमारी दोस्त मंडली भी

अभी हमारे समूह में

शामिल होने आ रही है

तुम हमें मस्ती, धमाल

और मौसम का लुत्फ उठाने में

पूरा पूरा सहयोग करना।