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परिवार की परिभाषा को बदलना होगा

परिवार का अर्थ

आज के संदर्भ में

दिन प्रतिदिन बदलता जा रहा है  

जिसमें यदि समय रहते

अभी भी सुधार नहीं हुआ तो

इसके परिणाम आने वाले समय में

बहुत घातक सिद्ध होंगे

परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर है और

परिवार नाम की यह इकाई

समय के साथ अपनी मर्यादा और

महत्व होती जा रही है

परिवार में बच्चे

अपने मां बाप को ही नहीं पूछ रहे तो

फिर किसको पूछेंगे

परिवार में खून के रिश्ते भी खत्म

होने की कगार पर हैं

समाज से रिश्ते जोड़ रहे हैं पर

लोग अपने परिवार से रिश्ते तोड़

रहे हैं

पहले संयुक्त परिवार टूटे लेकिन

अब एक छोटे परिवार में भी

अधिकतर तनावपूर्ण वातावरण है

कोई किसी से बोलने को तैयार नहीं

घर के बाहर का कोई व्यक्ति हो तो

उसके सामने अच्छे व्यवहार का

दिखावा मात्र है

परिवार में हर कोई अपना

जीवन यापन अपने दम पर

कर रहा है

उसके समक्ष जीवन की अपनी चुनौतियां हैं

जिनसे वह अकेला ही जूझ रहा है

उसका अपना संघर्ष है

जिसमें उसका कोई भागीदार नहीं

कोई सलाहकार नहीं

कोई शुभचिंतक नहीं

हर कोई या तो चुप है या

एक दूसरे की जड़े काटने में लगा है

परिवार की परिभाषा को

थोड़ा प्रयत्नशील होकर

हर किसी को बदलना होगा

पहल दूसरा न करे तो खुद से करनी

होगी

अपना व्यवहार मृदु रखें

यथासम्भव परिवार के प्रत्येक सदस्य की

मदद करें

उसके प्रति अपने दायित्व को समझें

जो भी परिस्थिति हो उससे भागे नहीं

उसका डटकर मुकाबला करें

परिवार में रहते अपने दृष्टिकोण को

व्यापक बनायें

सबका उद्धार करें

सबको आगे बढ़ायें

सबको प्रोत्साहित करें

परिवार के हर सदस्य को

अपने साथ लेकर आगे बढ़े

किसी को नजरअंदाज न करें

यही एक आपका छोटा सा अपने

परिवार के प्रति योगदान

हो सकता है

परिवार घर में रह रहे हर सदस्य का है

न कि सिर्फ आपका,

इसका या फिर उसका

परिवार बंटा हुआ नहीं होना चाहिए बल्कि

यह एक संयुक्त इकाई होनी चाहिए जिसमें

इसका हर सदस्य शामिल हो।