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कृष्ण की राधा के मन के रंग सा एक फूल

ऐसा भी क्या है कि

मैं तुम्हारे हाथ में हमेशा

लाल गुलाब का फूल ही दूं

कभी एक पारदर्शी

नीलवर्ण सा चमकता

कृष्ण की देह सा

कृष्ण की बांसुरी सा

कृष्ण के पितांबर सा

कृष्ण के मोर मुकुट सा

कृष्ण की राधा के मन के रंग सा

एक फूल क्यों न

उपहार स्वरूप दूं तुम्हें

किसी के चटकीले रंग पर

बनावट पर

रूप पर

सजावट पर

दिखावट पर मत जाओ हे प्रिय

किसी की सरलता भी देखो

उसके गुण देखो

उसकी आंखों का सौंदर्य देखो

उसकी वाणी की मधुरता देखो

उसके मन के दर्पण में अपने लिए

भरे प्रेम की छवि की सुंदरता देखो

तुम सच देखना सीखो मेरी प्रिय

झूठ और आडंबर के जाल में तुम मत फंसो

हे मेरी प्रियतमा

अरे मेरी राधा

ओ मेरी प्रिय।

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