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अपना अपना दृष्टिकोण

कोई देख रहा है

कोई सोच रहा है

कोई समझ रहा है

कोई पकड़ रहा है

कोई खोल रहा है

कोई नाप रहा है

कोई तोल रहा है

कोई अनुमान लगा रहा है

कोई कुछ हासिल करने की कोशिश

कर रहा है

कोई यथार्थ का आकलन करने में

जुटा है

हर किसी का इस दुनिया में

अपना अपना दृष्टिकोण है

हर कोई यहां दूसरे को बेवकूफ और

खुद को सबसे ज्यादा होशियार समझ रहा है

सारी उम्र भागता रहता है

इस जीवन की रंग बिरंगी

तितली के पीछे

न जाने क्या चाहत मन में

पाले रहता है

न जाने क्या तलाशता फिरता है

अंत में हाथ लगती हैं

चंद परछाइयां

टीस उभारती हुई तनहाइयां और

ढेर सारी रुसवाईयां।