विस्तृत फैले हुए रंग, प्रकृति के,
शुरू करती हूँ नीले आकाश से।
सूरज की सुनहरी किरणें जब पड़ती हैं,
लाल, गुलाबी फूल खिलते हैं।
सुंदर गोरा चाँद जब प्रकट होता है,
काली रात में मंद प्रकाश फैलता है।
हरी घास खेतों में जब लहरती है,
चेहरे पर एक मुस्कान आती है।
भूरे पेड़ की छाल है,
कितने ये बेमिसाल है।
पानी का नहीं कोई रंग,
फिर भी चाहते है सभी इसका संग।
भिन्न भिन्न रंगों से सजी है प्रकृति,
कितनी अद्भुत लगती है ये सृष्टि।
उज्जवल, सुन्दर और सुहानी,
हर रंग की है एक कहानी।
कितनी निराली है ये सौगात,
ब्रह्मांड की करूँ मैं क्या बात।
है अमूल्य कुदरत के अनोखे रंग,
देते है सुकून, जब रहते हम इनके संग।