सुंदरता के पीछे छिपी कुरूपता की सच्चाई


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फूल ही फूल

बिछे हैं

चारों तरफ बेहिसाब लेकिन

इनकी सुगंध कहां खो गई

रंग तो लगे हुए हैं

इन फूलों के तन पर अभी भी लेकिन

यह मुरझाये से पड़े हैं एक कोने में मुस्कुराते नहीं

खिलखिलाते नहीं

अपनी व्यथा किसी को सुनाते भी नहीं जग की सुंदरता के पीछे छिपी

कुरूपता की सच्चाई को शायद

जान गये हैं यह लेकिन

अब इनके हाथ में कुछ बचा नहीं है

समय नहीं है शेष

दुनिया को अलविदा कहकर

इनका इस संसार से रुखसत

होने का समय आ चुका है।


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