समय


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मेरे पास समय नहीं है

तो क्या

सिर्फ और सिर्फ

अपने मां बाप

अपने भाई बहिन

अपने परिवार के लिए ही

समय नहीं है

अपनी पत्नी

अपने बच्चों

अपनी ससुराल

अपने पत्नी के रिश्तेदार,

नातेदार, उसकी मित्र

मंडली

अपने परिचित,

समाज आदि के

लिए तो समय ही समय है

समय से तो कभी

कहीं पहुंचे ही नहीं

अपने कार्यस्थल पर भी

ज्यादातर शाम को ही

पहुंचते हैं

घर के सारे काम निपटाकर

जोरू के गुलाम जो हैं

पत्नी के सपनों को आकार

न दे पाये लेकिन

अब उसकी अनाप शनाप

जरूरतों की

एक कभी न खत्म होने वाली

फेहरिस्त को एक एक करके

पूरा करेंगे

हर हाल में पूरा करेंगे चाहे

सारे घर वालों को

उसके लिए मौत के घाट

ही क्यों न उतारना पड़े

पत्नी का लटका चेहरा

बिल्कुल अच्छा नहीं लगता

उसके चेहरे पर मुस्कान

अच्छी लगती है

वह एक खिलती फूल सी

महकती है तो

सारा घर महकता है

इससे फिर क्या फर्क

पड़ता है कि बाकी के

सारे शहर को कब्रिस्तान बना

दिया जाये

मां बाप को

क्या समय देना

बूढ़े हैं

बीमार हैं

आज नहीं तो कल

मर जायेंगे

उनको इलाज के लिये

किसी बड़े शहर के

बड़े अस्पताल में लेकर

जायेगा बेटा तो

पैसा नहीं लगेगा

समय नष्ट नहीं होगा

वह समय और पैसे

हैं उसकी पत्नी और

परिवार के लिए

अपनी पत्नी से पड़ते हैं

उसे सौ तरह के काम

उसी को समय देगा

उसको संतुष्ट कर पायेगा

तभी तो अपनी

संतुष्टि के

उसके जरिये

सारे मार्ग तलाश पायेगा।


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