नया दिन है
नये संकल्प
नया सूरज है
नया चांद भी होगा
आंखों में मेरी पर सपने वही पुराने हैं
यादों के धरातल पर खड़े मेरे अपने वही
प्रीत के गीत गुनगुनाते से तराने हैं
समय की नदी बह रही है
मैं इसके साथ चल तो रही हूं लेकिन
पुराना सामान संग लिए
हर सुबह भोर की किरण नई होती है लेकिन
मैं होती हूं वही पुरानी समय की
एक धूमिल पड़ती रेखा सी।