राह चलते दो अजनबी


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हम दोनों

जब पहली बार मिले थे तो

एक दूसरे के लिए

दो अजनबी थे

जमीन और आसमान की तरह ही

एक दूसरे को देख रहे थे पर

एक दूसरे से बहुत दूर थे

एक दूसरे से नजरें मिली फिर

किसी एक ने पहल करी तो

दूसरे ने अपना परिचय देते हुए

बातों के एक बीच बीच में

रुकते हुए सिलसिले की शुरुआत करी

एक दूसरे का साथ

पहली मुलाकात में

एक दूसरे को भा गया

मुलाकातें बढ़ी दोनों के बीच

दोस्ती हुई फिर

पता ही नहीं चला कि

कब प्यार का अंकुर दोनों के दिलों में

एक साथ फूट गया

दोनों कहने को तो थे कभी

राह चलते दो अजनबी लेकिन

अब हैं दो बदन एक जान

एक दिल और

एक जहां।


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