मैं प्रसन्नता की पराकाष्ठा को प्राप्त कर पा रहा हूं


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आज मैं खुश हूं

बहुत खुश हूं

कोई मुराद पूरी नहीं हुई है

कुछ हासिल भी नहीं किया है

किसी मंजिल की तलाश भी नहीं है

कोई ख्वाब भी पूरा नहीं हुआ है

कोई हमसफ़र भी साथ नहीं है

जिंदगी एक सफर है

मैं इसका एक मुसाफिर हूं

तन्हा हूं

रास्ता भटक गया हूं

एक घने जंगल में खो गया हूं

खुद को ही कहीं जैसे आज मैंने पा

लिया है

इस प्रकृति को

अपने इतना समीप पाकर

इसकी सुंदरता को मैंने अत्यधिक आत्मीयता से 

अपने भीतर कहीं उतार लिया है

मैं इन हरी घनेरी वादियों को

अपने पाशों से बांध रहा हूं

मैं खुद की जड़ों को कहीं इस

जमीन की भूरी मिट्टी से जुड़ा हुआ पा रहा हूं

मैं आज खुद को इस कायनात को समर्पित कर रहा हूं

मैंनै आज जीना सीख लिया

मैं छोटी-छोटी उपलब्धियों में ही प्रसन्नता की पराकाष्ठा को 

बहुत ही सरलता, सहजता और सुगमता से प्राप्त कर पा रहा हूं।


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