मेरा बेटा
कभी एक आदर्श बेटा था ही नहीं
जो आदर्श उसने स्थापित करे
अपनी पत्नी, अपने बच्चों, अपने सास ससुर,
अपनी ससुराल आदि के लिए
उसमें उसका कोई अपना
उसके परिवार का शुमार ही न था
बूढ़े, बीमार और लाचार बाप को
उसने कभी न समय दिया
न उपचार
न किसी प्रकार का सहयोग
उन्हें बचाया नहीं बल्कि मौत के मुंह में धकेला और
उनसे अपना पीछा हमेशा के लिए छुड़ाया लेकिन
वह बाप जिसके दिल में कुछ था तो
अपने बच्चों के लिए बस
असीम प्यार आखिरी सांस तक
अपने बेटे की राह तकता रहा और
यही दोहराता रहा कि इस दुनिया को देखते हुए
मेरा बेटा तब भी लाखों में एक है
उसमें कोई ऐब नहीं
वह तो मेरे खानदान का रोशन चिराग है
एक सोने सा चमकता हीरा है
मेरा बेटा मुझे बहुत प्यारा है।