फूल


0

फूलों का उपवन

फूलों से लदा नहीं

दिख रहा

घोर आश्चर्य है

यह मौसम बहारों का नहीं है या

फिर आसमान से सावन नहीं

बरस रहा

तपती रेगिस्तान सी गर्मी में

सारे फूल मुरझाकर

जमीन पर गर्म रेत के

कणों से बिछे पड़े हैं

यह प्यासे हैं

इनकी आंखों के आंसू भी

सूख गये हैं

यह मुस्कुराना भूल गये हैं

इनके होठों की पपड़ी पर

सूखे हुए छालों के छल्ले से

जो बन गये हैं

आसमान ने बरसना छोड़ा तो

लोग भी इन्हें पानी देना

भूल गये हैं

बिना कोशिश के

चाहते हैं कि

इनके बाग बगीचे

फूलों से लदे रहें

फूल तो खिलना चाहते हैं पर

कोई उनकी तरफ नजर

भरकर देखे तो

उनकी थोड़ी तो परवाह

करे

उन्हें जमीन में बोया है तो

उनको विकसित करने में

थोड़ा बहुत

कुछ तो सहयोग करे

उन्हें समय दे

उन्हें अपने घर में

जगह दी है तो

उन्हें अपने हृदय में भी

मुनासिब स्थान दे।


Like it? Share with your friends!

0

0 Comments

Choose A Format
Story
Formatted Text with Embeds and Visuals