फ़ासले ही तो हैं हम दोनों के दरमियान


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फ़ासले ही तो हैं

हम दोनों के दरमियान

तुम ही बताओ कि

नजदीकियां कहां हैं

एक के दिल की हर धड़कन में प्रेम का स्पंदन भरा है

दूसरे के जेहन में हर समय तकरार तो इसका अंजाम भला कैसे हो

प्यार भरा कोई संसार

घर की एक छत के नीचे बैठे हम दोनों जैसे किसी अजनबी से

यह हम दोनों के मध्य की दूरियां

बढ़ती ही जायें, कभी पटे नहीं

सुनने में थोड़ा अजीब लगता है लेकिन कई बार एक बोझ लिए रिश्ते को

उम्र भर निभाते रहने से बेहतर है

उसे तोड़ देना

फ़ासले बढ़ाकर

इसे घटाने की कोई भी कोशिश

एक पल को भी किये बगैर।


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