फूल थे
पत्ता पत्ता क्यों बिखर गये हो
पत्तों के साथ रहते थे
अब उन्हीं के रंग में क्यों रंग
गये हो
तुम्हारी कोई मजबूरी थी या
यह है तुम्हारा समर्पण भाव
तुम्हारे दिल की तुम जानो
लेकिन एक बात तुम्हारे
कानों में आकर बताऊं कि
भारी मन से मैं कहती हूं
चाहे कारण कोई भी हो पर
तुम अब फूल नहीं रहे हो।