दुल्हन की पोशाक न हो महंगी पर


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कोई दुल्हन

लाल जोड़े में सजी

लश्कारे मारती है

सुनहरी गोटे की किनारी हो जो

उसकी चुनर में लगी तो गजब ढाती है

लाल सिंदूरी बिंदिया

उसके माथे पर कैसी चांद सी सजती है 

हाथों में उसके लाल हरी चूड़ियां तो 

हथेलियों में गाढ़ी लाल बूटेदार मेहंदी खिलती है

सौंदर्य और सुगंध में नहाई होती है

एक नई नवेली दुल्हन सिर से पांव तक भाषा में तमीज और

आंखों में शर्म

यही उसकी खानदानियत,

इल्म और व्यक्तित्व की पहचान

होती है

उसकी पोशाक बेशक न हो

महंगी पर उसको पहनने ओढ़ने का

उसे सलीका आना चाहिए

तन की सुंदरता से अधिक

महत्वपूर्ण है किसी के मन की

सुंदरता

यही वह खूबियां हैं जो

किसी को पूर्ण बनाती हैं

उसकी खूबसूरती में चार चांद

लगाती हैं

उसके जीवन की बगिया को

फूलों की भीनी भीनी

खुशबुओं से आजीवन

महकाती हैं।


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