ऐ बारिश की बूंद
सुनाओ तुम अब मुझे
कहानी उस आसमान की
जहां से तुम आई हो
अपना सब कुछ तो
तुम पीछे छोड़कर आ रही हो
तभी तो बेतहाशा रो रही हो
तुम जार जार रो रही हो
अपना सर्वस्व त्याग रही हो
अपने जीवन से हाथ धो रही हो
यही तो एक विडंबना है कि
यह दुनिया तुम्हारे इतने बड़े दुख को तकलीफ को
त्रासदी को भी समझ नहीं पा रही
तुम्हारे आंखों से आंसू टप टप
बरस रहे हैं और
यह दुनिया के जालिम लोग
खुशियां मना रहे हैं
एक उत्सव मना रहे हैं
तुम्हारे आंसुओं के सैलाब को
बारिश का पानी समझ उसमें
खुशी खुशी नहा रहे हैं।