जमीन की दूब
तुम अपने कद को बढ़ा रही हो
आसमान के बादल
तुम जमीन की तरफ झुक रहे हो
तुम सब क्या अपनी अपनी
सफलताओं से खुश नहीं हो
जो कुछ तुम्हारे पास है
क्या वह पर्याप्त नहीं है
जमीन आसमान को पाने की
कोशिश कर रही है
आसमान जमीन को चूमने का
साहस कहीं खुद में बटोर रहा है
तुम दोनों खुद में कहीं संतुष्ट नहीं हो
पता नहीं क्या हासिल करना चाहते हो
तुम्हारी यह ख्वाहिशों की दौड़
न जाने कहां जाकर थमेगी लेकिन
मुझे डर है कि तुम दोनों के
बेमकसद इरादों के जाल में कहीं मैं न
फंसकर रह जाऊं।