तुम्हारी मुस्कुराहट बहुत याद आती है


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तुम्हारी मुस्कुराहट

बहुत याद आती है जो

पतझड़ में भी बहार खिला देती थी

रात के अंधेरे में जुगनुओं सी टिमटिमाती थी

दिन के उजाले में चार चांद मन के आकाश पर

सजा देती थी

गुलाब के गुलशनों के हर दिशा में अंबार

लगा देती थी

तुम्हारी मुस्कुराहट

तुम्हारी मिसरी सी मीठी वाणी

तुम्हारा सानिध्य

तुम्हारी संवेदनशीलता

तुम्हारा ममतामयी एक मां के आंचल सा

स्पर्श

तन मन को बांधता था

विस्मित करता था

एक सुकून से भर देता था

अपनी ओर मुझे आकर्षित करता था

लुभाता था

तुम्हारी मुस्कुराहट

तुम्हारी यादों के झरोखों से

अब भी हर पल झांकती है और

मुझे भी जब तब मुस्कुराने के लिए

मजबूर कर देती है।


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