तस्वीरें – यादों की परछाइयों सी


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बिछड़ना होता है

एक दिन

किसी मोड़ पर

हर किसी से

मुश्किल ही मिलते हैं

लोग जीते जी भी और

मरने के बाद तो बिल्कुल नहीं

एक उनकी तस्वीरें ही होती

एक जागृत अवस्था में हमेशा

जिन्हें देखकर कुछ पल का चैन

मिल जाता है

उनके साथ बिताये लम्हों को

दोहराया जा सकता है

उनकी यादों को एक नये

महकते फूल सा ही

तरोताजा

कहीं अपने जेहन की

पृष्ठभूमि पर

खिलाया जा सकता है

तस्वीरें बीती हुई कहानियों को

बखूबी दोहराती हैं

जो स्वर्णिम पल दूर होते हैं

उन्हें दिल के करीब लाती हैं

मन की गहराइयों तक

यादों की परछाइयों सी

उतर जाती हैं

बेचैन रूह को आराम देती हैं

जीने का एक कभी न

बिसराने वाला

बहुमूल्य उपहार या

यूं कहिए बेशकीमती सामान

देती हैं।


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