जीवन है तो
संघर्ष तो इसमें निहित अवश्य ही होगा
रास्ता सामने दिख रहा हो
फिर भी मन उस पर चलने को न हो तैयार तो
उस रास्ते की कठिनाइयों से कोई
तभी तक बच पा रहा है
जब तक वह उस पर चलने से
खुद को बचा पा रहा है लेकिन
बिना चले कभी क्या यह रास्ता
पार होगा
कभी न कभी तो अपना कदम
इस पर रखकर आगे बढ़ना ही होगा
यह किसी की किस्मत कि उसे
इस पथ पर कितने फूल और
कितने कांटे मिलते हैं लेकिन
पथ पर सिर्फ और सिर्फ फूल
मिलें या बस किसी को
प्राप्त हो कांटे
यह संभव नहीं
इन दोनों का मिश्रण ही मिलेगा
संघर्ष कम या अधिक हो सकता है लेकिन
जीवन रहते इसका
सामना तो करना पड़ेगा।