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जहां, जिससे और जब प्यार मिले

परिवार की परिभाषा

आज के सन्दर्भ में

अधिकतर लोगों के लिए

बदलती जा रही है

एक घर में

एक छत के नीचे

अलग अलग कमरों में

महीनों, सालों या

फिर सारी उम्र

बिना बात किये रहना

यह कोई एक आदर्श परिवार नहीं

कहला सकता

खून का रिश्ता ही

सब कुछ नहीं है अगर

उसमें प्यार जैसे भाव का

अभाव है तो

जहां, जिससे और जब प्यार मिले

वही एक घर संसार है

खिले हुए फूलों की एक सुगंधित बहार है

सही अर्थ में एक परिवार है

बाकी तो सब भ्रम है

मिथ्या है

एक मानसिक अवस्था मात्र है

परिवार में

न प्यार हो

न मान सम्मान हो

न आपस में कोई संवाद

न किसी को देख

दिल धड़कता हो

न वह बाहर निकलता हो

न वह तुम्हारे दिल में

प्रवेश करके

तुम्हारी दिल की धड़कनों को

छूना चाहता हो तो फिर

ऐसे परिवार को परिवार

समझना

हास्यास्पद है

उसे स्वीकारना एक मूर्खतापूर्ण निर्णय है

अपनी भावनाओं से खिलवाड़ है

समय की बर्बादी है और

अंत में सब कुछ खोकर कुछ भी न पाना है

सब कुछ तबाह करके

सब कुछ हाथ से निकल जाना है।