कल्पना की उड़ान
इस लोक से परे ले जाने में तो
सक्षम होती है
यह एक चिड़िया सी ही
अपने पंख फैलाकर
उड़ती रहती है
कभी इस जहां तो
कभी उस जहां
इसका कोई ओर छोर नहीं है
यह सीमित नहीं
असीमित है
इसके रहस्यों को जान पाना भी
एक कठिन कार्य है
यह जीवन जन्म से लेकर
मृत्यु तक जैसे समझ
नहीं आता
ठीक वैसे ही
कल्पना एक सुंदर
सपने सी तो होती है
कल्पना की उड़ान
एक सच्चाई के धरातल से
शुरू होती है लेकिन
इसके अंत को
इसके सच को
इसके परिणामों को
परख पाना
एक अति
दुर्लभ कृत्य है
फिर भी कल्पना की
चिड़िया
कल्पना की उड़ान भरती है
फिर लौटकर बैठ जाती है
अपने पंख सिकोड़कर
- अपने कल्पना के ही किसी घर में।