ओ मेरे प्यारे से शहतूत के पेड़


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ओ मेरे प्यारे से

शहतूत के पेड़

तुम्हारे फलों को नहीं खाना मुझे

तुम इतने सुंदर हो

कोमल हो

ऐसा लगता है कि जैसे

रेशम के धागों से बुने हुए हो

तुम मेरे एक रेशमी अहसास और  

ख्वाब से हो

एक सिल्की सा रास्ता है

जो मुझे तुम तक

जब मेरा तुमसे मिलने का मन

करता है

ले आता है

तुम्हारे साये के तले बैठकर

मुझे तो असीम शांति

मिलती है

मेरी कलम अनायास ही उठ

जाती है और

तुम पर कोई कहानी लिखने को

कहती है

दुनिया में कितना शोर है

इतने शोर में एक भी बात

ऐसी नहीं जो मेरे दिल को छूती हो

एक तुम हो जो सदियों से

ऐसे ही खामोश खड़े लेकिन

मेरे दिल का हाल

बिना किसी हस्तक्षेप के

कितने इत्मीनान से सुनते हो

जब से मैं हूं

तब से तुम भी हो

जैसे तुम तन्हा हो

वैसे ही मैं भी हूं लेकिन

तन्हाई बेहतर है

इस दुनिया के लोगों के

दिल तोड़ते शोर से।


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