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ऐ लाल गुलाब तुम्हें नहीं पता कि

मैं सुबह सुबह

घूमने जो निकली तो

घने जंगल में

एक पेड़ के नीचे

झाड़ियों में ही दुबके पड़े

ऐ लाल गुलाब के फूल

तुम मुझे मिले

तुम इतने उदास क्यों दिख रहे हो

एक कोने में अकेले क्यों पड़े हो

अपने ही कांटों से तुमने तो खुद को

लहूलुहान कर लिया है

तुम तो दर्द से कराह रहे हो

तुम्हारी पुकार मदद के लिए

कोई यहां तो सुनने वाला नहीं है

यह तो अच्छा हुआ कि

मेरा आज यहां से गुजरना हुआ और

तुमसे मिलना हुआ

अब चलो मेरे साथ

मेरे घर और मेरे उपवन में

एक नये सिरे से अपना जीवन शुरू करो

खुद को किसी की तरह से अयोग्य

मत समझो

किसी को बेशक नहीं होगी लेकिन

तुम्हें नहीं पता कि मुझे तुम्हारी कितनी जरूरत है।