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एक सपना टूट जाये किसी दर्पण की तरह तो

सपने देखना या

न देखना

किसी व्यक्ति विशेष के

अपने ऊपर निर्भर है

सपने पूर्ण होते हैं या नहीं

यह एक अलग बात है

लेकिन इन्हें नये सिरे से

हर रात देखना

यह आपके नियन्त्रण की

अपनी निजी बात है

सपने टूटते हैं तो

टूट जाने दो

फिर देखो

इन्हें बार बार देखो

न भी पूरे हो तो भी

देखो

इनका देखना भी बड़ा

सुखद होता है

टूट जायें तो कोई

अफसोस न करो

एक सपना टूट जाये

किसी दर्पण की तरह तो

उसके टुकड़ों में सपनों की एक से

अधिक जितनी चाहे

उतनी असंख्य छवियां देखो।