हौसले हो बुलंद
कुछ कर गुजरने की हो तमन्ना
खुद के हुनर को गर हो पहचानते
खुद का,
खुदा का और
थोड़ा सा परिवार व मित्रों का हो सहयोग तो
अपंगता चाहे कैसी भी हो
कभी भी कहीं आड़े नहीं आती।
हौसले हो बुलंद
कुछ कर गुजरने की हो तमन्ना
खुद के हुनर को गर हो पहचानते
खुद का,
खुदा का और
थोड़ा सा परिवार व मित्रों का हो सहयोग तो
अपंगता चाहे कैसी भी हो
कभी भी कहीं आड़े नहीं आती।
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