अपने अपने नज़रिये और समझ का सवाल है।
वरना जो अंदाज़ दिल को छू ले..वही उसका जमाल है।।
माँ की नज़र में अपना दुलारा दुनिया का नूर है।
प्रेमी के पलकों के साये, वही हसीना-मुमताज़ है।।
पंच भूत की दिव्यता से मुग्ध पृथ्वी है भरपूर।
सावन में हवा के झोंके से थिरकता मदहोश मयूर।।
कण-कण में बस जाती है मनोहर गायक की दिलकश आवाज़।
कोयल के गान में गूंजे या फिर ललित वीणा के मधुर साज़।।
कवि के कलम का है कमाल बेशुमार।
जमाल है स्याही में डूबे निखरकर उभरते हुए विचार।।
समंदर से उमड़ती लहरों की खूबसूरती ।
जैसे सीपी में छिपे, चमकते हुए सुंदर मोती ।।
सूर्य की स्वर्णिम किरणोंं में शानदार से है वो जलती।
और चाँदनी की शीतलता में लीन हो जा बसती ।।
नागिन निशा भी ना डस पाये, रम्य मनोरम पारिजात के तारे।
पंखुड़ियों पे ओस की बूंदें लिए, बगियन में सजे गुल सारे |।
है वो जग में कौन सी लिपि।
जिसके बोल में खूबसूरती नहीं है छिपी।।
नानी के मुसकान भरी लोरियों में, हमें जो सुलाते।
नाना के आखों की उन कहानियों में, जो हमें सहलाते।।
संसार की सारी सुन्दरता, माँ को देख शरमा जाये।
पिता के दिल की मनोहरता, भृमाणड भी कम पड़ जाये।।
जब दिल से पूछा जमाल का किधर है आवास ?
मुस्काई, बोली जिस अखियन में हो प्रेम का निवास।।
बस चाहिए परखने एक नज़र और थोड़ा सा प्यार भरा अंदाज़।।
वरना जो अंदाज़ दिल को छू ले..वही उसका जमाल है।।
माँ की नज़र में अपना दुलारा दुनिया का नूर है।
प्रेमी के पलकों के साये, वही हसीना-मुमताज़ है।।
पंच भूत की दिव्यता से मुग्ध पृथ्वी है भरपूर।
सावन में हवा के झोंके से थिरकता मदहोश मयूर।।
कण-कण में बस जाती है मनोहर गायक की दिलकश आवाज़।
कोयल के गान में गूंजे या फिर ललित वीणा के मधुर साज़।।
कवि के कलम का है कमाल बेशुमार।
जमाल है स्याही में डूबे निखरकर उभरते हुए विचार।।
समंदर से उमड़ती लहरों की खूबसूरती ।
जैसे सीपी में छिपे, चमकते हुए सुंदर मोती ।।
सूर्य की स्वर्णिम किरणोंं में शानदार से है वो जलती।
और चाँदनी की शीतलता में लीन हो जा बसती ।।
नागिन निशा भी ना डस पाये, रम्य मनोरम पारिजात के तारे।
पंखुड़ियों पे ओस की बूंदें लिए, बगियन में सजे गुल सारे |।
है वो जग में कौन सी लिपि।
जिसके बोल में खूबसूरती नहीं है छिपी।।
नानी के मुसकान भरी लोरियों में, हमें जो सुलाते।
नाना के आखों की उन कहानियों में, जो हमें सहलाते।।
संसार की सारी सुन्दरता, माँ को देख शरमा जाये।
पिता के दिल की मनोहरता, भृमाणड भी कम पड़ जाये।।
जब दिल से पूछा जमाल का किधर है आवास ?
मुस्काई, बोली जिस अखियन में हो प्रेम का निवास।।
बस चाहिए परखने एक नज़र और थोड़ा सा प्यार भरा अंदाज़।।