कुछ तो खास था उनमें
कुछ अपनेपन का एहसास था उनमें
आज भी याद है वो अनोखा पल
हसी में भी दु:ख को पहचाने का अंदाज था उनमें,
आंखों में अजीब सी कशिश थी
होंठों पे मुस्कान था भरा
दिल की गहरईयों में था उनका बसेरा।
दिल के दरवाजे से दस्तक देते हुए
दिल की गहराई यों कों झांका करते थे
मेरी हँसी में छुपे दर्द को आंखो से बयां करते थे
रिश्ता क्या था अल्फाज़ ना बयां कर पाएंगे
इनको हमने कभी ना अपना माना,
ना कभी पराया कह पाएंगे ।
कुछ रिश्ते अजीब होते हैं
समंझ से बाहर और कल्पना से परे होते है
वो रिश्ता है हमारा उनके साथ
वो पहेली अनोखी सी लगती हैं
कुछ तो खास था उनमें
कुछ अपनेपन का एहसास था उनमें
आज भी वो बाते याद आती है