नव प्रभात की नव रश्मि पूँज लिये
नव परिधान धारित
नववर्ष का सूरज देदीप्यमान हुआ गगन में !
करता,नव आशा संचारित
नवऊर्जा प्रस्फुटित
जगती के कण कण में !
खगवृंद का मधुर कलरव,बहती जलधारा अविरल
पात पात में बसा प्रकृति का वैभव
सजा गया नूतन सपने नयनन में !
दूर तक छिटक गई लाली
निशा ने निज आँचल समेटा ;तो,अंबर का द्वार खोल
नववर्ष स्वागत हेतु ,मुस्कुरा उठा अँशुमाली !
विगत वर्ष संग ले गया विषाद ;ग्लानि,पीड़ा का तीखा स्वाद
पवन भी उन्मादित सा ,छेड़ गया मन वीणा के तार
उनींदी धरा ने ली अँगड़ाई ,टाँक गई ख़ुशियों के तोरणहार!
बीते वर्ष के साथ बीत जाए ,धुल जाए मन का मैल
स्नेह और ज्ञान का दीप जला कर
प्रेम भावना की थाल सजाए
नववर्ष की उतारे आरती
दिशी दिशी गूँज उठे “जय भारतभारती !”
नव परिधान धारित
नववर्ष का सूरज देदीप्यमान हुआ गगन में !
करता,नव आशा संचारित
नवऊर्जा प्रस्फुटित
जगती के कण कण में !
खगवृंद का मधुर कलरव,बहती जलधारा अविरल
पात पात में बसा प्रकृति का वैभव
सजा गया नूतन सपने नयनन में !
दूर तक छिटक गई लाली
निशा ने निज आँचल समेटा ;तो,अंबर का द्वार खोल
नववर्ष स्वागत हेतु ,मुस्कुरा उठा अँशुमाली !
विगत वर्ष संग ले गया विषाद ;ग्लानि,पीड़ा का तीखा स्वाद
पवन भी उन्मादित सा ,छेड़ गया मन वीणा के तार
उनींदी धरा ने ली अँगड़ाई ,टाँक गई ख़ुशियों के तोरणहार!
बीते वर्ष के साथ बीत जाए ,धुल जाए मन का मैल
स्नेह और ज्ञान का दीप जला कर
प्रेम भावना की थाल सजाए
नववर्ष की उतारे आरती
दिशी दिशी गूँज उठे “जय भारतभारती !”