मेरी याद के आंसू


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जब थे तो

बेशक न होते लेकिन

अब नहीं है तो

उन्हें मौजूद होना चाहिए

सच में

यथार्थ में

मेरी आंखों के समक्ष खड़ा हुआ

सांस लेता अपने पंख

फैलाये हुए एक परिंदे सा

मेरे व्यक्तित्व के हर पहलू में

मेरे अहसास में

मेरे सौंदर्य में

मेरे विश्वास में

मेरे चरित्र में

मेरे जीवन की किताब के पन्ने पर लिखी हर कहानी के किरदार में

मेरी आत्मा के अक्स में

मेरी भावनाओं के समुन्दर में

मेरे दिल के जीवित हर कोने में

मेरे मन के स्वच्छ दर्पण में

मेरे हृदय की हर तरंग के

स्पंदन में

मेरी वाणी में

मेरे सुर में

मेरे गीतों में

मेरी लय में

मेरी भाव भंगिमाओं में

मेरी आस्था में

मेरे धर्म में

मेरी दिनचर्या के प्रत्येक कर्म में

मेरे रास्ते में

मेरी मंजिल पर

मेरी हर श्वास में

मेरे हर कदम में

मेरे ख्याल में

मेरे स्वप्न में

मेरे दिन में, रात में

मेरे जीवन के समय के हर पल में

मेरे हिस्से के आसमान में

मेरी जमीन के सामान में

मेरे मंदिर में

मेरे भगवान में

उनकी याद नहीं आनी चाहिए

जो अगर आये तो

मेरी याद के आंसू पोछने वाला भी कोई होना चाहिए।


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