शायद ऐसा हो सकता था कि
सही समय पर अगर
प्रयास कर लिये गये होते या
किसी को उसे प्रतिपादित करने में सहयोग दे दिया गया होता तो
उसे मरने से बचाया जा सकता था
उसे आज की तारीख में भी जिंदा
पाया जा सकता था
उसे अपनी आंखों के सामने
एक जीवित अवस्था में सांस लेता
हुआ पाया जा सकता था लेकिन
यह संभव तभी हो सकता था
जब इसका इस तरह होना कोई
चाह रहा होता
यह सब नहीं हो पाया क्योंकि
किसी ने इसे करना उचित ही नहीं
समझा
किसी को मारा, उसे नहीं बचाया
अपने रास्ते से उसे हटाया
अपने हाथ में उसकी जीवन भर की कमाई को समेट लिया
अरे निर्लज्ज, तुझे जरा सी भी
लाज नहीं आई
जिसकी कोख से जन्म लिया
उसी की मर्यादा का
चीरहरण सरेआम कर दिया।