ऐ भिक्षु
तुम इस रास्ते से
चलायमान बेशक हो लेकिन
कहीं एक पेड़ के समान
खामोश हो गये हो
तुम जीवन के कठिनाइयों से
कहीं रूबरू हो चुके हो तभी
अपने चेहरे पर इतनी अधिक प्रसन्नता के भाव और
लबों पर मुस्कुराहट ले
आते हो
कहां से सीख लिया है तुमने
अपने आप को नियंत्रण में रखना
एक संतुलित और संयमित जीवन
जीना
एक धार्मिक आचरण का सदैव
पालन करना
तुम्हारे मुख और आंखों में
एक गजब की चमक है
तुमने खुद की भावनाओं पर
अंकुश लगाकर
विजय प्राप्त कर ली है
तुम विजयी हो
एक विजय पथ पर निकले हो
विजयी भव
तुम्हारी जय जयकार तो अवश्य ही
होनी चाहिए।