तुम चाहे तो
अपने लबों से कितना भी
मुस्कुरा लो लेकिन
तुम्हारी उदास आंखें
तुम्हारे दिल की सारी कहानी
तुम्हारे बिना बोले
खामोशी से
बीच-बीच में न के बराबर
बोलते हुए
सब कुछ बयां कर देती हैं
तुम अपनी आंखों पर
चाहे तो कोई पर्दा डाल लो लेकिन
उन आंसुओं की धार का
क्या जो
फूटेगी एक झरने सी और
तुम्हारा आंचल और
घर के फर्श को भीगो देगी
जी में आता है तो
रो लो
अपने मन को हल्का कर लो
जोर से बारिश जो बरसती है तो
उसके बाद आसमान को
बादलों रहित और साफ कर देती है
तुम भी अपने दर्द
अपने आंसुओं से धो डालो और
फिर अपनी आंखों से मुस्कुरा दो
किसी बोझ को अपने सिर पर
लादे मत रखना
इसको जो लादो तो उतारने की
आदत भी डालो
जब कभी कोई दुख सताये और
आंख भर आये तो
जी भर कर रो लो और
फिर चेहरे का फूल खिला देना
आंखों के माध्यम से
मुस्कुराकर।