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मेरी पहली और आखिरी ख्वाहिश

खुद को कम आंकना

फितरत है मेरी

मंजिल तक पहुंचकर

वापस लौट आना

आदत है मेरी

मैं जिंदा रहूं और

मेरी जिंदगी काम आये किसी के

यह क्या कम है

लोग सराहे मुझे सच्चे दिल से

बस यही पहली और आखिरी ख्वाहिश है मेरी

मेरा सब कुछ है नाम उनके

मेरे काम से ही है शायद पहचान उनकी भी।