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मैं कभी इसलिए

मैं कभी इसलिए नहीं रोती कि

मुझे किसी का कंधा

अपना सिर उस पर रखकर

रोने के लिए

नहीं मिलता

मैं कभी इसलिए हंसती भी नहीं कि

यह दुनिया मुझे देख जल जायेगी और 

यह सोचेगी कि

इतनी विषम परिस्थितियों में रहकर भी

यह खुश कैसे रह लेती हैं।