in

एक कतरा रोशनी का

दिल के

कोने में कहीं

एक शमा जला दो कि

मैं रोशन हो जाऊं

जिंदगी भर

अंधेरों में ही तो

सफर किया है मैंने

क्या मैं हकदार नहीं कि

एक कतरा भी रोशनी का

कहीं पर पाऊं।