कभी किसी के
दिल की बातों को समझना हो तो
पढ़ना सीख लो उसकी आंखों की भाषा को
मुंह से बोली गई बातों का नहीं कोई भरोसा लेकिन
किसी की आंखें
कभी झूठ नहीं बोलती
वह सच को
जाने अंजाने
कह ही देती हैं
उसकी आंखों की जो भाषा थी
वह उसकी मुंह से बोली गई बातों से भी मेल खाती थी
उसकी हर बात में सच्चाई थी
उसकी आंखें एक पवित्र
तीर्थ स्थल सी थी
वहां बहती किसी पावन नदी के
घाट सी थी
जिसके किनारे बैठते ही
मैं उसकी सीढ़ियां उतर कर
उसमें कहीं गहरे डूब कर खो जाती थी वहां या उसके रोम रोम में
मैं खुद को ही कहीं पाती थी
उसकी आंखों के दर्पण में मुझे हमेशा मेरी अपनी एक साफ सुथरी,
निर्मल, पवित्र,
गंगाजल से धुली हो जैसे कोई प्रतिमा
किसी आत्मा की जलतरंग से जुड़ी हो जैसे कोई एक तड़पती मछली की
आत्मा
दिखती थी
उसकी आंखें फिर एक रोज जो
बंद हुई तो फिर
मेरी तरफ अपलक निहारने के लिए
कभी खुल न पाई
कहां मिलेंगे मुझे अब
जीवन में कभी
ऐसे लोग
ऐसी आंखें
जिनमें भरा था मेरे लिए बस
प्यार ही प्यार
न कहीं लेशमात्र की भी दुत्कार
वह सच्चे मोती पिरोये दो सीप सी
आंखें सो गई
हमेशा के लिए
मेरे दिल में पर अभी भी जीवित
एक अमृत की धार सी।