रंग दो मुझे
आज सिर से पांव तक
लाल सिंदूरी रंग से
मैं हो जाऊं आज अपने श्याम की कि
विरह की अग्नि में जलकर मैं राख
हुई न जाने कब से
लाल चुनर मुझे आज
ओढ़ा दो
लाल बिंदिया एक सुनहरी सी
मेरे माथे पर सजा दो
लाल लहंगे का चमकीला
परिधान मुझे पहना दो
हाथों में मेरे लाल रंग की
चूड़ियां चढ़ा दो
पांव में लाल नग की
चांदी की पायलिया
बांध दो
नाचूंगी छमाछम
एक मोर सी मैं
गाऊंगी एक प्यार की सरगम
बिना किसी साज के मैं
धरती से आकाश तक
अपने प्रेम से कर दूंगी
सब सूरज की लालिमा सा
लाल जब
छनकाऊंगी अपनी पायल और
खनकाऊंगी चूड़ियों की
झनकती कतार
लाल रंग से खुद को रंग
लूंगी
सारी कायनात को भी
कर दूंगी लाल
लाल रंग ही आज मुझ पर
बरसाते रहना
जो कोई सुने मेरी प्रेम भरी पुकार।