उसकी आंखें
समुन्दर सी गहरी
आकाश सी नीली
एक हरे उपवन सी
एक सौंदर्य के दर्पण सी
खामोशी से
दिल की बातें कहती सी
एक गीत वफा का
गुनगुनाती सी
बिन बारिश ही
ओस के आंसुओं की नमी से
भीग जाती सी
मुझे देख कभी मुस्कुराती सी
कभी किसी नादान एक बच्चे की तरह शरमाती सी
कभी एक फूल सी खिल जाती
कभी एक सितारे सी झिलमिलाती
कभी एक जुगनू सी टिमटिमाती
कभी एक सूरज के तेज सी
चमकती
कभी किसी चांद की चांदनी सी
दमकती
कभी काजल की काली रेखा
पिरोये
कभी सफेद मोतियों के
अश्रुओं की एक धारा लिए
उसकी आंखें
सादगी भरी
मन को लुभाती
प्यार का एक पावन रस
बरसाती
जो भी उनके संपर्क में आये
उसे अपनी पलकों की
चिलमन से बांधती।