फूलों पर
कौन चाहेगा
अंगारे बरसाना
एक रिश्ता दिल का
फलता रहे
फूलता रहे
आगे बढ़ता रहे
इसके पांव में कौन चाहेगा
बेड़ियां डालना लेकिन
जब कोई कर दे मर्यादा की
एक नहीं कई हदें पार
एक दोस्त नहीं दुश्मन की तरह
तुम्हारे तन मन पर करे वार
तुम्हारी सरहद में घुसने की करे
कोशिश और
वफा के नाम पर दगा तो
जंग के मैदान में न चाहते हुए भी
उतरना पड़ता है
अपने मुल्क की
हिफाजत के लिए
दुश्मनों का सीना गोलियों से
छलनी करना पड़ता है
अपने देश की मिट्टी का तिलक माथे पर लगा
एक वीर योद्धा की तरह अपने शत्रु से युद्ध लड़ना पड़ता है।