जलता है जो
कोई भी दीपक तो
मुझ पर असर होता है
बुझता है जो
कोई भी दीपक तो
मुझ पर असर होता है
एक आत्मिक रिश्ता बांध लेती हूं
मैं तो लगता है हर किसी से
चोट उसको लगती है
घायल मेरा मन होता है
खुश होता है वह किसी वजह से
दिल मेरा बाग बाग होता है
मेरे दिल का तार बंधा है
हर किसी के दिल से
किसी भी दिल की धड़कन के सुर
जो थोड़ा ऊपर नीचे हुए
उसके दिल से मेरे दिल तक आते तार हिल जाते हैं
मेरे दिल में कंपन होता है
मेरे दिल तक
उसके दिल का हाल
बिल्कुल साफ अक्षरों में लिखा
हुआ पहुंच जाता है
मैं उससे ज्यादा उसे समझ सकती हूं
और
उसका दिल जैसा चाह रहा
उसे वैसा संदेश प्यार भरा
देकर
उसे कुछ पल के लिए ही सही पर
खुश करने की काबिलियत तो
कम से कम रखती हूं।